आज मन फिर उदास है !

आज मन फिर उदास है ! काश इस जिंदगी में भी उम्मीद होती तो शायद हम दो कदम और आगे होते। हर सुबह उठने के बाद यह नहीं सोचना पड़ता की आज क्यूँ जियें । मानव जिंदगी में कामुकता को दबा पाना बहुत मुश्किल होता है...पर कोई बात नहीं , सम्भोग का सुख ना मिल पाया कोई बात नहीं, एक जीवन साथी तो मिल जाता । लेकिन हमारे समाज के ठेकेदारों ने हमें समाज का हिस्सा ही नहीं समझा है। हम अपनी यह इच्छाएं खुले तौर पर किसी से नहीं कह सकते। डेल्ही के पार्को में जाने की मेरी हिम्मत नहीं होती। इन्टरनेट पर अपनी तस्वीर डालने में डर लगता है ...सब कुछ समाज के लिए, घर के लिए, परिवार की इज्ज़त के लिए।

लेकिन वो घुटन ! जो आज फिर हो रही है ...कहाँ जाऊं ? किस से कहूँ ?

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

Prashant's Story - In Hindi

मैं इंतज़ार करूँगा....हमेशा :)