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समलैंगिक और नफरत

सबसे पहले स्ट्रेट लोगो को समलैंगिक लोगो ले प्रति नफरत का भाव छोर देना चाहिए...समलैंगिक न तो बलात्कारी हैं और न बाल शोषण के अपराधी...इस दुनिया में कुछ भी अप्राकर्तिक नहीं है, सब कुछ प्रकृति ने ही बनाया है, इश्वर ने ही बनाया है.....प्रकृति में ही व्याप्त है, बहार से कुछ नहीं आया..इसलिए यह भी प्राकर्तिक ही है . ....कोई अपनी मर्जी से समलैंगिक नहीं होता ..या उस से उम्र के एक पड़ाव पर यह नहीं पुछा जाता की क्या तुम समलैंगिक बनना चाहते हो ? यह तो प्राकर्तिक ही है की प्राकृतिक हारमोंस या विपरीत सेक्स के प्रति अपने आप आकर्षण पैदा होता है....लेकिन प्रकृति हमेशा एक तरह से काम नहीं करती...कभी कभी वेह भी अपनी दिशा बदल लेती है... समलैंगिक समुदाय को लोग किन्नर या समलिंगी बलात्कार या बाल शोषण से जोड़ कर देखते हैं, कुछ तो यह सोचते हैं की यह पल भर की वासना को तृप्त करने का एक सस्ता तरीका है...जबकि ऐसा नहीं है....यह भी उतना पवित्र है जैसे एक पुरुष और स्त्री का रिश्ता....एक समलैंगिक सिर्फ सेक्स को नहीं सोचता...वो उन सभी खूबसूरत पलों को भी सोचता है जो एक साफ़ सुथरी खूबसूरत जिंदगी में होते हैं.....जिस तरह