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जनवरी, 2012 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

झूठी मुस्कराहट

जीने को दिल नहीं चाहता। परिवार चाहता है मैं किसी लड़की से शादी करके घर बसा लूं। रोज मानसिक तौर पर दबाव दिया जाता है। पर क्या कर सकता हूँ मैं। वो सोचते हैं यह एक मानसिक बीमारी है जो किसी डॉक्टर के पास जा कर ठीक हो जाएगी। उनके लटके हुए चेहरे देख कर लगता है अब मरने के सिवा कोई चारा नहीं...... शादी करना बड़ी बात नहीं....लेकिन कब तक मैं उस लड़की को धोखा दे सकता हूँ... और नहीं तो क्या यह एक धोखा ही तो है.... सेक्स भी जबरदस्ती करना होगा... झूठी मुस्कराहट देनी होगी... ज़िन्दगी और वोह दोनों बोझ बन कर रह जायेंगे .... दिल अभी भी तड़पता है लेकिन तब आत्मा भी तडपेगी।

लगता है तुम अब नहीं आओगे

दिल मर रहा है...रोज मरता है...वो उम्मीदें कहीं खोई जा रही हैं...लगता है तुम अब नहीं आओगे...यह नजर भी अब उतनी तेज नहीं की तुम्हारी आस के लिए एकटक रास्ते पर रख सकूँ...तुम्हे ढूंढूं भी तो कहाँ ?

आज मन फिर उदास है !

आज मन फिर उदास है ! काश इस जिंदगी में भी उम्मीद होती तो शायद हम दो कदम और आगे होते। हर सुबह उठने के बाद यह नहीं सोचना पड़ता की आज क्यूँ जियें । मानव जिंदगी में कामुकता को दबा पाना बहुत मुश्किल होता है...पर कोई बात नहीं , सम्भोग का सुख ना मिल पाया कोई बात नहीं, एक जीवन साथी तो मिल जाता । लेकिन हमारे समाज के ठेकेदारों ने हमें समाज का हिस्सा ही नहीं समझा है। हम अपनी यह इच्छाएं खुले तौर पर किसी से नहीं कह सकते। डेल्ही के पार्को में जाने की मेरी हिम्मत नहीं होती। इन्टरनेट पर अपनी तस्वीर डालने में डर लगता है ...सब कुछ समाज के लिए, घर के लिए, परिवार की इज्ज़त के लिए। लेकिन वो घुटन ! जो आज फिर हो रही है ...कहाँ जाऊं ? किस से कहूँ ?